इस मंदिर का निर्माण 1003 -1010 के बीच चोल शासक के प्रथम राजा राजराज चोल ने करवाया था ,तथा इसी के नाम पर इस मंदिर को राजेश्वर नाम भी दिया गया !
यह मंदिर कुल तेरह मंजिला है जिसकी ऊंचाई 66 मीटर है ,मंदिर भगवान् शिव की आराधना को अर्पित है
इस मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है तथा यहाँ इस वक़्त भक्तों की काफी भीड़ होती है ,मंदिर की दीवारे महा मंडपम दीवारों से घिरा हुआ है जिसके उतर दिशा की ओर शिवा दुर्गा सरस्वती तथा दक्षिण दिशा की ओर गणेश विष्णु लक्ष्मी की चित्र बने हुए है!
मंदिर की हर एक छोटी छोटी चित्र कला अपने में इतनी खूबसूरत है की लोगो को तथा भक्तो को अपनी और खींचे नहीं रोक पाती है!मंदिर में ,मंदिर में अनेको जगह है जैसे की सरस्वती स्वार्ट्ज चर्च ,रॉयल संघरालय ,शिव गंगा किला ये सभी मंदिर की विसेसता को बढ़ाये हुए है कई बरसो से जिसका अपना अपना बहुत ही महत्त्व है!
इसके आलावे बृहदेश्वर मंदिर के कुछ निकटवर्ती दर्शनीय स्थल है जैसे -सिक्कल सिंगरेलवर मंदिर ,स्वामी मलई ,त्रिवायरु ,त्यागराजस्वामी मंदिर,बैठीश्वरं कोवली इत्यादि
शॉपिंग - यहाँ तंजावुर पेंटिंग्स अपनी विशेष शैली के लिए प्रसिद्ध है जिसे पर्यटक खरीदना पसंद करते है ,यहाँ सही कीमत और अच्छी क्वालिटी के लिए गाँधी रोड पर पुपहर की पेंटिंग शॉप से पेंटिंग खरीद सकते है
यहाँ तंजोर प्लेट्स,पंचलोहा प्रतिमाएँ ,पूजा सामग्री ली जा सकती है !
आवागमन के लिए सड़क मार्ग कई शहरो से जुड़ा हुआ है जो की कोच्ची ,एर्नाकुलम ,त्रिवंतपुरम और बैंगलोर से यहाँ से सड़क मार्ग से पंहुचा जा सकता है
रेलमार्ग द्वारा आने के लिए रेलवे जंक्शन त्रिची ,चेन्नई,और नागौर से सीधी सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है !
हवाई मार्ग से आने के लिए यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली विमान क्षेत्र है जो यहाँ से 65 km दूर है,इसके अलावे चेन्नई के रस्ते भी यहाँ आ सकते है !
अध्भुत है तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर तथा तंजावुर वीणा को शीघ्र हासिल होगा भौगोलिक संकेतन का दर्जा है !
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