अम्बर नाथ मंदिर
अंबर नाथ मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है, जो की 11 वी शदी से जाना जाता है ,जो की आज भी महाराष्ट्र (भारत)के मुंबई शहर में प्रसिद्ध है !यह मंदिर आज भी आम्बेश्वर शिवा टेम्पल के नाम से जाना जाता है
यह मंदिर मुंबई में वडवान(वालधुनि )नदी से २ km अम्बरनाथ रेलवे स्टेशन के पास स्तिथ है !इस मंदिर का निर्माण 1060 AD में हेमाडपंथिम स्टाइल में किया गया था ,यह मंदिर पत्थरों से निर्मित है ! इस मंदिर की रचना शीलरहा के राजा छित्तराजा के समय की गयी थी ,जिसे पूर्ण राजा के पुत्र मुमुनि ने किया था !
इस मंदिर के सबसे निचले स्तर जो की 20 सीढ़ियों से बना है वह गर्वगिरहा है उसके निचे मंडपा है,
जोकि सिखरा टावर के ऊपर खुलता है ,जो मंडपा से ऊंचाई पर स्तिथ है मंडपा के कुछ भाग का निर्माण अब तक पूर्ण नहीं किया गया था !
अम्बरनाथ भूमि का स्टेट तथा मंदिर को पांच पांडवा भाइयो ने मिलकर एक रात्रि में एक बड़े पत्थर से किया था ऐसा माना जाता है की पांडवा भाइयो ने उस वक़्त इस मंदिर का निर्माण एक रात में कर दिया था जब वे वनवास के लिए निकले थे !वो मंदिर का पूर्ण निर्माण नहीं कर पाए थे इस वजह से मंदिर की गर्वगिरहा का छत आज भी विकसित नहीं हुआ है ,कहा जाता है की मंदिर की यह गर्वगिरहा आज भी कई किलोमीटर भीतर तक छिपा है जिसका पता लगा पाना मुमकिन नहीं है ! यहाँ के लोग मराठी भाषा का उपयोग ज्यादा करते है
अम्बरनाथ मंदिर कैसे जाया जाता है - अम्बरनाथ मंदिर महा शिवरात्रि पर्व के समय काफी अधिक भक्तों के कारण भीड़ से भरा होता है ,अम्बरनाथ मंदिर का पूर्व दिशा के हिस्से गाड़ियों से पूर्ण रूप से जाम रहता है!
इस मार्ग को दो भागो में बांटा दिया जाता है जो की अधिक ट्राफिक होने के कारण पिलग्रिम्स तक भरा होता है ,
मंदिर फिर से एक बार श्रावण माह के वक़्त भक्तों की भीड़ से जाम रहता है !यह मंदिर मुंबई शहर से २ km की दूरी पर स्तिथ है ,अम्बरनाथ मंदिर ठाणे डिस्ट्रिक्ट का एक प्रसिद्ध मंदिर है !
अम्बरनाथ मंदिर एक अच्छे रोड मार्ग से जुड़ा हुआ है यहाँ बहुत सारी बसे हैजो सिटी से सीधे से डायरेक्ट मंदिर तक जाती है जोकि कल्याण ,ठाणे,बदलापुर और करजत होकर मंदिर तक जाते है !
ट्रैन से मंदिर जाने के लिए यह एक बहुत सरल मार्ग है भक्तों के लिए अम्बरनाथ एक सेंट्रल रेलवे स्टेशन है जोकि मुंबई की लोकल ट्रेनों दादर और ठाणे से जुडी हुई है ,टूरिस्ट जोकि बाहर के है वो मुमबई या ठाणे एक्सप्रेस ट्रैन से आकर यहाँ से लोकल ट्रैन से अम्बरनाथ मंदिर तक जा सकते है !अम्बर नाथ रेलवे स्टेशन से अम्बरनाथ मंदिर की दूरी सिर्फ २ मिनट का रास्ता है !
हवाई यात्रा से अम्बरनाथ मंदिर जाने के लिए भक्तों को मुंबई एयरपोर्ट तक आना होता है यहाँ से मंदिर काफी नज़दीक है ,यात्री मुंबई एयरपोर्ट से अपना पर्सोनल कार कर के या लोकल ट्रैन से मंदिर तक जा सकते है जोकि काफी सुविधा जनक होता है !
अम्बरनाथ मंदिर का महत्व -अम्बरनाथ मंदिर की मुख्य विसेसता यह है की यहाँ महाशिवरात्रि के महा पर्व के समय जात्रा भगवन शिव तथा माता पारवती का निकलता है जोकि हर साल बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है !महापर्व को चार दिनों के अलग अलग अवसर के रूप में मनाया जाता है ,भक्तों का मानना है की यहाँ आये हुए हर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है !
मंदिर में पूजा का समय हर रोज सबेरे 6 :०० बजे से संध्या 6 :०० बजे तक आरती तथा भोग से किया जाता है इसके बाद लोगो को प्रसादम बाटने तथा भोग खिलाया जाता है !
यहाँ हर भक्त भगवान् के आस्तिक होते है अथवा यहाँ के हर लोगो में निश्छल भावना होती है हर एक दूसरे की मदद करने को तत्पर होते है, इसके आलावा यहाँ के पंडित भी काफी अच्छे होते है जोकि हर भक्तों के लिए एक ऐसी भावना रखते है जिससे की किसी भी भक्त को किसी तरह की कोई परेशानी न हो उनके हिट के लिए पूजा पाठ करते है !मंदिर में भी भक्तों तथा टूरिस्ट के रहने का काफी सुविधा अनुसार वयवस्था है जहा लोग अपने परिवार के साथ धर्मशाला में उचित खान-पान की वयवस्था के साथ रह सकते है !
अंबर नाथ मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है, जो की 11 वी शदी से जाना जाता है ,जो की आज भी महाराष्ट्र (भारत)के मुंबई शहर में प्रसिद्ध है !यह मंदिर आज भी आम्बेश्वर शिवा टेम्पल के नाम से जाना जाता है
यह मंदिर मुंबई में वडवान(वालधुनि )नदी से २ km अम्बरनाथ रेलवे स्टेशन के पास स्तिथ है !इस मंदिर का निर्माण 1060 AD में हेमाडपंथिम स्टाइल में किया गया था ,यह मंदिर पत्थरों से निर्मित है ! इस मंदिर की रचना शीलरहा के राजा छित्तराजा के समय की गयी थी ,जिसे पूर्ण राजा के पुत्र मुमुनि ने किया था !
इस मंदिर के सबसे निचले स्तर जो की 20 सीढ़ियों से बना है वह गर्वगिरहा है उसके निचे मंडपा है,
जोकि सिखरा टावर के ऊपर खुलता है ,जो मंडपा से ऊंचाई पर स्तिथ है मंडपा के कुछ भाग का निर्माण अब तक पूर्ण नहीं किया गया था !
अम्बरनाथ भूमि का स्टेट तथा मंदिर को पांच पांडवा भाइयो ने मिलकर एक रात्रि में एक बड़े पत्थर से किया था ऐसा माना जाता है की पांडवा भाइयो ने उस वक़्त इस मंदिर का निर्माण एक रात में कर दिया था जब वे वनवास के लिए निकले थे !वो मंदिर का पूर्ण निर्माण नहीं कर पाए थे इस वजह से मंदिर की गर्वगिरहा का छत आज भी विकसित नहीं हुआ है ,कहा जाता है की मंदिर की यह गर्वगिरहा आज भी कई किलोमीटर भीतर तक छिपा है जिसका पता लगा पाना मुमकिन नहीं है ! यहाँ के लोग मराठी भाषा का उपयोग ज्यादा करते है
अम्बरनाथ मंदिर कैसे जाया जाता है - अम्बरनाथ मंदिर महा शिवरात्रि पर्व के समय काफी अधिक भक्तों के कारण भीड़ से भरा होता है ,अम्बरनाथ मंदिर का पूर्व दिशा के हिस्से गाड़ियों से पूर्ण रूप से जाम रहता है!
इस मार्ग को दो भागो में बांटा दिया जाता है जो की अधिक ट्राफिक होने के कारण पिलग्रिम्स तक भरा होता है ,
मंदिर फिर से एक बार श्रावण माह के वक़्त भक्तों की भीड़ से जाम रहता है !यह मंदिर मुंबई शहर से २ km की दूरी पर स्तिथ है ,अम्बरनाथ मंदिर ठाणे डिस्ट्रिक्ट का एक प्रसिद्ध मंदिर है !
अम्बरनाथ मंदिर एक अच्छे रोड मार्ग से जुड़ा हुआ है यहाँ बहुत सारी बसे हैजो सिटी से सीधे से डायरेक्ट मंदिर तक जाती है जोकि कल्याण ,ठाणे,बदलापुर और करजत होकर मंदिर तक जाते है !
ट्रैन से मंदिर जाने के लिए यह एक बहुत सरल मार्ग है भक्तों के लिए अम्बरनाथ एक सेंट्रल रेलवे स्टेशन है जोकि मुंबई की लोकल ट्रेनों दादर और ठाणे से जुडी हुई है ,टूरिस्ट जोकि बाहर के है वो मुमबई या ठाणे एक्सप्रेस ट्रैन से आकर यहाँ से लोकल ट्रैन से अम्बरनाथ मंदिर तक जा सकते है !अम्बर नाथ रेलवे स्टेशन से अम्बरनाथ मंदिर की दूरी सिर्फ २ मिनट का रास्ता है !
हवाई यात्रा से अम्बरनाथ मंदिर जाने के लिए भक्तों को मुंबई एयरपोर्ट तक आना होता है यहाँ से मंदिर काफी नज़दीक है ,यात्री मुंबई एयरपोर्ट से अपना पर्सोनल कार कर के या लोकल ट्रैन से मंदिर तक जा सकते है जोकि काफी सुविधा जनक होता है !
अम्बरनाथ मंदिर का महत्व -अम्बरनाथ मंदिर की मुख्य विसेसता यह है की यहाँ महाशिवरात्रि के महा पर्व के समय जात्रा भगवन शिव तथा माता पारवती का निकलता है जोकि हर साल बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है !महापर्व को चार दिनों के अलग अलग अवसर के रूप में मनाया जाता है ,भक्तों का मानना है की यहाँ आये हुए हर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है !
मंदिर में पूजा का समय हर रोज सबेरे 6 :०० बजे से संध्या 6 :०० बजे तक आरती तथा भोग से किया जाता है इसके बाद लोगो को प्रसादम बाटने तथा भोग खिलाया जाता है !
यहाँ हर भक्त भगवान् के आस्तिक होते है अथवा यहाँ के हर लोगो में निश्छल भावना होती है हर एक दूसरे की मदद करने को तत्पर होते है, इसके आलावा यहाँ के पंडित भी काफी अच्छे होते है जोकि हर भक्तों के लिए एक ऐसी भावना रखते है जिससे की किसी भी भक्त को किसी तरह की कोई परेशानी न हो उनके हिट के लिए पूजा पाठ करते है !मंदिर में भी भक्तों तथा टूरिस्ट के रहने का काफी सुविधा अनुसार वयवस्था है जहा लोग अपने परिवार के साथ धर्मशाला में उचित खान-पान की वयवस्था के साथ रह सकते है !
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